गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

धो-खा...
माँ ने 
बचपन में समझाया था
बेटा, हाथ ''धो''
फिर ''खा''
माँ की सीख का फायदा 
वे नेतागीरी में 
लेने लगे
जनता को धो-खा देने लगे.
जड़ों में
भ्रष्टाचार 
रिश्वतखोरी और
घोटाले
अब देश की बुनियाद में 
खड़े हैं 
ये वे नगीने हैं जो 
जनतंत्र की जड़ों में 
जड़े हैं 
ध्यान 
ढोंगी साधु 
सेक्सी संत ने
खूब छक्के लगाये
पाखंड के खेल में
भंडाफोड़ के बाद
सारा ध्यान जेल में...
आड़ में 
देश सेवा की 
आड़ में
बाहुबली 
कसकर
''खा'' रहे हैं
कुछ कमर कस कर 
आ रहे हैं.
जिद
वे 
जिद पर अड़े हैं
कि अब भी 
भाई-चारा 
निभाएंगे
बिलकुल भाई की तरह 
चारा खायेंगे.